विवाह, प्यार और सम्मान का पवित्र बंधन होता है. जहाँ जीवन भर साथ देने का वादा किया जाता है. लेकिन कभी-कभी परिस्थितियां ऐसी बन जाती हैं कि लोग इस वादे को निभाने में असफल हो जाते हैं और विवाहेतर संबंधों में फंस जाते हैं.
इन संबंधों के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं, टूटे परिवार, बच्चों पर पड़ने वाला बुरा प्रभाव और जीवन भर का पछतावा, ये कुछ ऐसी चीजें हैं जिनका सामना करना पड़ सकता है. फिर भी, कई लोग विवाहेतर संबंधों की तरफ आकर्षित क्यों होते हैं?
विवाहेतर संबंधों के विभिन्न कारण हो सकते हैं, और प्रत्येक स्थिति अनूठी होती है। हालांकि, कुछ सामान्य कारक हैं जो इस प्रकार के संबंधों की ओर ले जा सकते हैं:
1. वैवाहिक रिश्ते में दरार
विवाहेतर संबंधों का सबसे बड़ा कारण है वैवाहिक जीवन में दरार पड़ना. शादी के शुरुआती दौर में जो प्यार और जुनून होता है, वो धीरे-धीरे कम हो जाता है. पति-पत्नी एक-दूसरे को समय देना कम कर देते हैं, बातचीत कम हो जाती है, छोटी-मोटी बातों पर झगड़े होने लगते हैं. ये सब चीजें वैवाहिक रिश्ते में दूरियां बढ़ा देती हैं और प्यार फीका पड़ जाता है. इस खालीपन को भरने के लिए कुछ लोग रिश्ते के बाहर प्यार और अपनापन तलाशने लगते हैं.
2. बदलती ज़रूरतें और भावनात्मक उपेक्षा
शादी के साथ ही ज़िंदगी बदल जाती है. ज़िम्मेदारियां बढ़ जाती हैं और रिश्ते की प्राथमिकताएं भी बदलती हैं. लेकिन इस बदलाव के साथ ही ये भी ज़रूरी है कि पति-पत्नी एक-दूसरे की बदलती ज़रूरतों को समझें और उनकी पूर्ति करने की कोशिश करें. अगर किसी को अपने जीवनसाथी से वो भावनात्मक सहारा नहीं मिलता, जिसकी उन्हें उम्मीद थी, तो वो किसी और के पास खींचा जा सकता है. अकेलापन, किसी बात को शेयर न कर पाना, या हर बात पर आलोचना झेलना – ये कुछ ऐसी चीजें हैं जो किसी को रिश्ते से बाहर प्यार की तलाश पर मजबूर कर सकती हैं.
3. यौन जीवन में असंतुष्टि
किसी भी सफल वैवाहिक रिश्ते में यौन जीवन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. अगर दांपत्य जीवन में यौन सुख की कमी हो जाए, या सेक्स के प्रति रुचि कम हो जाए, तो ये भी विवाहेतर संबंधों का कारण बन सकता है. कई बार पार्टनर शर्म या गलत संकोच के कारण अपनी इच्छाओं और परेशानियों को खुलकर सामने नहीं रख पाते, जिससे समस्या और बढ़ जाती है. समय के साथ असंतुष्टि बढ़ती जाती है और किसी बाहरी व्यक्ति के साथ शारीरिक आकर्षण उन्हें विवाहेतर संबंधों की तरफ ले जा सकता है.
4. पहचान का संकट और आत्मसम्मान की कमी
खासतौर से महिलाओं के लिए, शादी के बाद उनकी पहचान सिर्फ एक पत्नी या माँ तक ही सिमट कर रह जाती है. करियर या खुद की पसंद की चीजों को वो प्राथमिकता नहीं दे पातीं. इससे उनमें आत्मसम्मान की कमी आने लगती है. ऐसे में अगर कोई बाहरी व्यक्ति उनकी तारीफ करे, उनकी उपलब्धियों को सराहे, तो ये उन्हें अच्छा लग सकता है. ये आत्मसम्मान की तलाश धीरे-धीरे विवाहेतर संबंधों का रूप ले सकती है.
5. अवसर और कमज़ोरियाँ (Avasar aur Kamzoriyaan)
कभी-कभी परिस्थितियां भी विवाहेतर संबंधों को जन्म दे सकती हैं. काम के सिलसिले में लंबी यात्राएं करनी पड़ना, दफ्तर में देर रात तक साथ काम करना, या सोशल मीडिया पर किसी अनजान व्यक्ति से बातचीत शुरू होना – ऐसे मौके नज़दीकियां बढ़ा सकते हैं. अगर वैवाहिक जीवन में पहले से ही दरार है, या किसी पार्टनर में कोई कमी है, तो ऐसे अवसरों पर वे अपनी कमजोरियों के आगे झुक सकते हैं और गलत रास्ते पर चले जा सकते हैं.
इसके अलावा, विवाहेतर संबंधों के कुछ और कारण भी हो सकते हैं, जैसे:
- शादी को जल्दबाजी में करना (Shaadi Ko Jaldbazi Mein Karna) – कम उम्र में या बिना समझे शादी कर लेना. ऐसे रिश्तों में प्यार की कमी होती है, जो आगे चलकर विवाहेतर संबंधों का कारण बन सकती है.
- माता-पिता का खराब रिश्ता (Mata-Pita Ka खराब रिश्ता) – अगर बचपन में माता-पिता का रिश्ता खराब रहा हो, तो भी व्यक्ति बड़े होकर विवाहेतर संबंधों की तरफ आकर्षित हो सकता है.
- मीडिया और समाज का प्रभाव (Midia aur Samaaj Ka Prabhav) – आजकल मीडिया और सिनेमा में भी विवाहेतर संबंधों को कई बार रोमांटिक तरीके से दिखाया जाता है, जिसका युवा पीढ़ी पर गलत प्रभाव पड़ सकता है.
यह जानना जरूरी है कि विवाहेतर संबंध किसी भी समस्या का हल नहीं होते. बल्कि, ये समस्या को और जटिल बना सकते हैं. किसी भी रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए जरूरी है कि पार्टनर आपस में खुलकर बात करें, एक-दूसरे की भावनाओं को समझें और रिश्ते को निभाने की कोशिश करें. समय रहते समस्या का समाधान निकालना ही हर रिश्ते को सफल बनाने का सबसे अच्छा तरीका है.
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